अब फिर एक बार सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा उत्तर प्रदेश आरक्षण को लेकर मामला।
पिछले दिनों यह मुद्दा हाईकोर्ट में था
जी दोस्तों बता दें पिछले दिनों यह मुद्दा हाईकोर्ट में दाखिल किया गया था उसमें बताया गया था कि उत्तर प्रदेश में जारी की गई आरक्षण सूची 2015 के आधार पर नहीं है।
इस पर कोर्ट ने प्रतिक्रिया देते हुए निर्देश दिया कि आरक्षण सूची वास्तव में 2015 के आधार पर नहीं बनी है कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिए की आरक्षण सूची 2015 के आधार पर बनाई जाए और यह जल्द से जल्द किया जाए।
यह मुद्दा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
जी दोस्तों अब यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा दीप कुमार नामक व्यक्ति द्वारा यह मुद्दा दाखिल किया गया है उन्होंने अपने वकील से यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करवाया है ।
उन्होंने कहा है की पहले वाली आरक्षण सूची 1995 के आधार पर थी जिसमें लो कास्ट को आरक्षण प्रदान था यदि आरक्षण सूची 2015 के आधार पर बनाई जाएगी तो उनका आरक्षण का नंबर 20 साल बाद आएगा उन्होंने यह तर्क देते हुए अपने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाया है अब इसकी सुप्रीम कोर्ट में ही सुनवाई होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट में आरक्षण सूची को लेकर कोई भी अधिक तर्क नहीं दिया जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया।
बता दें कि एक नजरिए से यह सरकार के भी पक्ष में है तो देखते हैं सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला लेता है।
सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 26 मार्च को सुनवाई करेगा
अब सियासत का मुद्दा जोरों पर है प्रत्याशियों के नजरिया भी बदल रहे हैं किसी को खुशी है तो किसी को गम हो रहा है
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जय हिंद जय भारत
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